Lifestyle-Health : आपने भी खाया है कभी पांगर फल? कैल्शियम आयरन विटामिन से है भरपूर, चेस्टनेट के नाम से भी जाना जाता है यह फल

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कुमाऊं में पांगर का फल आपको आसानी से मिल जाएगा और यह फल लोग आग में पकाकर और पानी में उमालकर कर खूब खाया करते हैं, क्योंकि इसमें कई विटामिन भी पाए जाते हैं और यह फल आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. आज हम आपको एक ऐसे पौष्टिक फल के बारे में बताने जा रहे है जिसे कुमाऊं में पांगर के नाम से जाना जाता है.

आपको बता दें कि इस फल में काफी कांटे होते हैं. अगर आप इसके औषधीय गुणों से अवगत होंगे तो आप हैरान रह जाएंगे. चलिए आपको बताते हैं कि कुमाऊं में पांगर के नाम से प्रचलित यह उत्तराखंड का कांटेदार फल कितना पौष्टिक है उसके अंदर क्या-क्या गुण हैं जो कि कई बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं.

पांगर फल

ठंडे इलाकों में होता है यह फल

ठंडे इलाकों में होता है यह फल पांगर एक ऐसा फल है जिसका पेड़ ठंडे इलाकों में पाया जाता है और यह फल खाने में भी होती स्वादिष्ट होता है. पहाड़ में उगने वाला यह फल 80 सालों से उत्तराखंड के लोगों की जेब भर रहा है. इसे ड्राईफ्रूट ‘चेस्टनट’ के नाम से भी जाना जाता है. यह फल अब भी स्थानीय लोगों की आजीविका का जरिया बना हुआ है.

इस फल को पानी में बॉयल कर वह आग में पका कर भी खाया करते हैं. इस फल के पेड़ नैनीताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर, पदमपुरी आदि इलाकों में पाए जाते है. बजारों में यह फल 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. यह फल कैल्शियम, आयरन, विटामिन AC, B6 से भरपूर है.

पौष्टिक और औषधीय गुणों से है भरपूर

​    ​Pangar fruit

पांगर पहाड़ का पौष्टिक फल है, जिसे दुनिया चेस्टनट के नाम से बेहतर जानती है. इस फल का पूरा कवर कांटेदार होता है इसलिए तोड़ने में खासी मेहनत लगती है. इस फल से जुड़ा इतिहास बड़ा दिलचस्प है, लेकिन इसके औषधीय गुणों की बात करें तो यह इम्यून सिस्टम के लिए रामबाण बताया जाता है.हृदय रोग के खतरे को कम करने के साथ ही डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों में भी यह फायदेमंद है. चेस्टनेट में कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन सी और मैग्नीशियम भरपूर होते हैं.

स्थानीय किसान बताते हैं कि इसकी मार्केट में अच्छी-खासी मांग है, जिसके चलते बाजार में पांगर 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक आसानी से बिकता है इसलिए यह स्वरोज़गार का भी ज़बरदस्त साधन बन रहा है. मई और जून में इसके पेड़ में फूल आते हैं और अगस्त-सितंबर तक फल भी पक जाते हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानियों में भी खासे लोकप्रिय इस फल की बाजार में खासी मांग है.

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