देहरादून में आयोजित हुआ राज्य की पंचायती राज संस्थाओं के लिए सम्पर्क और परिचय कार्यक्रम
संसदीय लोकतंत्र प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) लोकसभा सचिवालय और पंचायती राज विभाग द्वारा देहरादून के एक होटल में उत्तराखण्ड की पंचायतीराज संस्थाओं हेतु संपर्क और परिचय कार्यक्रम के तहत ‘‘पंचायतीराज व्यवस्था विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था का सशक्तीकरण’’ विषय पर आयोजित सम्मेलन का शुभारम्भ किया गया।इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि भारत का लोकतंत्र मजबूत भी है और सशक्त भी है। इसको और सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। भारत के संविधान की मूल भावना लोकतांत्रिक गणराज्य की थी। जनता को मध्य में रखकर हमारी शासन व्यवस्था रहे। आजादी के बाद से भारत में अभी तक 17 लोकसभा एवं 300 से अधिक विधानसभा के चुनाव हुए हैं। लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा तथा लगातार लोगों का मतदान के प्रति रूचि देखने को मिली।
लोकतंत्र की मजबूती में पंचायतों का रहा है विशेष योगदान : मुख्यमंत्री
लोकसभा अध्यक्ष के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने भी इस कार्य्रम में अपने विचार सबके सामने रखे उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड सीमांत प्रदेश है। हम सीमाओं के सुरक्षा प्रहरी भी हैं। इसके लिए गांवों से पलायन का रूकना बहुत जरूरी है। राज्य में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास निधि योजना शुरू की गई है। हमारे सीमांत क्षेत्रों में कैसे लोग रहें, पर्यटक आयें। सीमान्त क्षेत्रों में लगातार आवाजाही रहे। इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन प्रतिनिधियों को भी सीमांत क्षेत्रों में कुछ दिन का भ्रमण जरूर करना चाहिए, ताकि ऐसे क्षेत्रों में रह रहे लोगों का मनोबल बढ़ा रहे। सीमांत क्षेत्रों में एनसीसी कैंप लगाये जायेंगे। राज्य सरकार ने पिछले पौने चार साल में साढ़े पांच सौ से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ने का का कार्य किया। हर घर में बिजली पहुंचाई । राज्य के हर परिवार को 05 लाख रूपये तक का स्वास्थ्य कवरेज देने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। ग्रामीण क्षेत्रों के सभी 14 लाख परिवारों को 2022 तक मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने भी रखे अपने विचार
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि ‘‘पंचायतीराज व्यवस्था विकेन्द्रीकृत लोकतंत्र का सशक्तिकरण’’ सम्मेलन का शुभारम्भ देवभूमि उत्तराखण्ड से हो रहा है। पंचायतीराज व्यवस्था देश में प्राचीन समय से चली आ रही है। महात्मा गांधी जी के दर्शन भी पंचायतों से जुड़े हुए हैं। त्रिस्तरीय पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र सशक्तीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। पंचायतीराज व्यवस्था को ब्रिटिशकाल में महत्वहीन कर दिया गया था। लेकिन बाद में अनेक संशोधनों से इस व्यवस्था को मजबूती दी गई। 2004 में अलग से केन्द्रीय मंत्रालय बनाया गया। इस अवसर पर सांसद अजय टम्टा, महासचिव लोकसभा उत्पल कुमार सिंह, टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, सचिव पंचायतीराज एच.सी सेमवाल एवं अन्य जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।