हनीमून और ट्रेकिंग के लिए मशहूर है देवभूमि उत्तराखंड का ‘लिटिल कश्मीर’

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हनीमून और ट्रेकिंग के लिए मशहूर है देवभूमि उत्तराखंड का ‘लिटिल कश्मीर’

देहरादून: उत्तराखंड राज्य में स्थित पिथौरागढ़ एक बहुत ही खूबसूरत शहर है। पिथौरागढ़ को लिटिल कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर कैलाश मानसरोवर के पवित्र हिंदू तीर्थयात्रा के लिए भी जाना जाता है। कई बार तीर्थ यात्री पिथौरागढ़ में विश्राम के लिए रुक जाते है। पिथौरागढ़ सुन्दर घाटी में स्थित शहर है जोकि नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है। पिथौरागढ़ शहर बर्फ से ढकी चोटियों, उच्च हिमालयी पहाड़ों, घाटियों, झरनों और हिमनदों के राजसी स्थलों के लिए जाना जाता है। पर्यटक इस पर्वतीय क्षेत्र में ट्रेकिंग का आनंद लेते है। शादीशुदा जोड़े के लिए पिथौरागढ़ हनीमून का सबसे अच्छा स्थान है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और शांति के कारण यह स्थान पर्यटकों को बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता है। आप भी अपने जीवन में एक बार इस शानदार शहर की यात्रा की योजना जरूर बनाइये और यहाँ की खूबसूरती और उन्मुक्त वातावरण में मगन हो जाइये।

आपको बता दें कि पिथौरागढ़ जिले की अपनी संपूर्ण उत्तरी और पूर्वी सीमाएं अंतरराष्ट्रीय हैं। यह एक महान रणनीतिकारिता मानता है और जाहिर है भारत के उत्तर सीमा पर एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिला है। तिब्बत से सटे अंतिम जिला होने के कारण, लिपुलेख, कुंगरीबिंगरी, लंपिया धुरा, लॉई धूरा, बेल्चा और केओ के पास तिब्बत के लिए खुले रूप में काफी महत्वपूर्ण सामरिक महत्व है। पिथौरागढ़ हिमालय, घास वाले घास का विस्तृत खर्च, बारहमासी नदियों को झीग-जैग के पाठ्यक्रमों में घूमते हुए, सभी प्रकार के वनस्पतियों और जीवों की एक अद्भुत किस्म, शुद्ध प्रकृति, जो अभी तक अनलिखित हैं, ने उनकी सफाई को अपने गुंबदों में देखा है।

यह चीनी आक्रामकता के मद्देनजर हुआ था कि 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ शहर में पिथौरागढ़ जिले में एक विशाल वर्ग का निर्माण किया गया था जिसमें पिथौरागढ़ शहर के प्रमुख चैराहों के साथ चरम सीमावर्ती इलाके शामिल थे। 15 सितंबर 1997 को पिथौरागढ़ के अंतर्गत चंपावत तहसील को चंपावत जिला बनाया गया था।

पिथौरागढ़ शहर समुद्र तल से 1645 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जिले 29.4 डिग्री से 30.3 डिग्री उत्तर अक्षांश और 80 डिग्री से 81 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच मध्य हिमालय के पूर्वी और दक्षिणी भाग पर स्थित है, जिसमें भारत-तिब्बतन वाटरशेड विभाजन उत्तर और काली नदी में। पूर्व में नेपाल के साथ एक सतत सीमा का गठन पिथौरागढ़ जिले को अल्मोड़ा, चंपावत की राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है, बागेश्वर और चमोली जिलों में 7,217.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विस्तार किया गया है।

वहीं, ऐतिहासिक रूप से भी पिथौरागढ़ का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इतिहासकारों द्वारा बताया गया है कि पिथौरागढ़ चंद वंश के राजा पिथौर चंद द्वारा बसाया गया था। पिथौर चंद ने पाल वंश के राजा को हराकर पिथौरागढ़ पर अपना अधिपत्य जमाया था। सन 1790 में गोरखों ने कुमाऊ को जीत कर चंद वंश का शासन समाप्त कर दिया। इसके बाद सन 1815 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखों का शासन भी समाप्त कर दिया। सन 1960 तक अंग्रेजों के शासन में पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील के रूप में रहा इसके बाद सन 2000 में पिथौरागढ़ उत्तराखंड का एक भाग बन गया।

पिथौरागढ़ के नाम के पीछे पिथौरागढ़ की एक प्रसिद्ध कहानी है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी था जिसमे सोर का मतलब सरोवर अर्थात तालाब होता है। ऐसा माना जाता है कि पिथौरागढ़ घाटी में पहले सात तालाब थे परन्तु समय के साथ उन तालाबों का पानी सूखने से वो पठारी भूमि में बदल गए। पठारी भूमि का क्षेत्र होने के कारण इसका नाम पिथौरागढ़ रखा गया। एक कहानी के अनुसार बताया जाता है कि पिथौरागढ़ का नाम भारत के वीर योद्धा पृथ्वीराज चैहान के नाम पर पड़ा।

पिथौरागढ़ में कई ऐंसी जनजातियाँ है जो अन्य कही देखने को नही मिलती है। इन जनजातियों के कारण ही पिथौरागढ़ की संस्कृति आज भी जीवित है। यहाँ की रूंग जनजाति द्वारा कंदाली नामक एक बहुत ही अद्भुत त्यौहार मनाया जाता है जोकि पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार कंदाली के फूलों के खिलने पर प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इसके साथ ही पिथौरागढ़ में महा-शिवरात्रि, बसंत पंचमी, दशहरा, दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है। पिथौरागढ़ लोक गीतों और नृत्यों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।

पिथौरागढ़ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक सबसे प्राचीन पिथौरागढ़ का किला है, जिसे सन 1789 में गोरखाओं द्वारा बनबाया गया था। इसलिए इस किले का नाम गोरखा किला भी रखा गया। कुमाऊं की काली नदी पर स्थित पिथौरागढ़ किले की संरचना बहुत ही आकर्षक है जोकि अपने आप में कई ऐतिहासिक महत्त्व को रखता है। पिथौरागढ़ किला सोर घाटी के बाहरी इलाके में सबसे ऊपर चोटी पर स्थित है। इस किले में पर्यटक ट्रेकिंग का आनंद लेने के साथ-साथ लम्बी पैदल यात्रा का भी अनुभव अपने साथ वापस लेकर जाते है।

वहीं, पिथौरागढ़ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से चांडक एक छोटी सी ट्रेकिंग के लिए जानी जाने वाली पहाड़ी है। चांडक पिथौरागढ़ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिमालय पर्वत के सुन्दर दृश्यों से सजा हुआ है। चांडक पहाड़ी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान् मनु को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल अगस्त और सितम्बर के महीने में बहुत ही शानदार मेले का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।

दूसरी ओर मुनस्यारी पिथौरागढ़ के प्रमुख आकर्षक स्थलों में से एक है। यह पर्वतीय क्षेत्र पंचाचूली पर्वत की चोटियों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। पिथौरागढ़ से लगभग 127 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शहर बहुत ही सुन्दर फूलो, झील और प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मुन्स्यारी गाँव को गोरी नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है। मुन्स्यारी अपने में धार्मिक परिवेश के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्त्व को भी समेटे हुए है।

अगर पिथौरागढ़ की यात्रा की योजना हवाई मार्ग से जाने की बनाई है तो हम आपको बता दे कि पिथौरागढ़ से लगभग 226 किलोमीटर दूर देहरादून और लगभग 241 किलोमीटर दूर स्थित पंतनगर शहर का निकटतम हवाई अड्डा है। इन दोनों हवाई अड्डों के बाहर से आपको टैक्सी आसानी से मिल जाएँगी जिसके माध्यम से आप पिथौरागढ़ आसानी से पहुँच सकते है।

अगर पिथौरागढ़ रेलवे मार्ग से जाने की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि पिथौरागढ़ से लगभग 138 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टनकपुर रेलवे स्टेशन है। ये रेलवे स्टेशन पिथौरागढ़ के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन में से एक है। आप इस रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी या बस किराए पर लेकर आसानी से पिथौरागढ़ पहुँच सकते है।

अगर पिथौरागढ़ की यात्रा के लिए सड़क मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि यह सबसे उचित माध्यम है पिथौरागढ़ पहुँचने के लिए। पिथौरागढ़ उत्तराखंड के कई प्रमुख शहरों के साथ-साथ अन्य पडौसी राज्यों से भी सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और अन्य राज्यों से नियमित रूप से पिथौरागढ़ के लिए बसें चलती है। आप बस के माध्यम से आसानी से पिथौरागढ़ पहुँच सकते है।

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