2019 में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के विरोध में उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंचे थे रैणी के ग्रामीण
नैनीताल: उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण के प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी का गांव रैणी फिर सुर्खियों में हैं। रविवार को चमोली जिले में जो ग्लेशियर फटा है, वह इसी गांव से लगा है। आपको बता दें कि रैणी गांव के समीप ही ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। बता दें कि रैणी गांव के कुंदन सिंह व अन्य ने 2019 में जनहित याचिका दायर की थी। इस दौरान इनका कहना था कि गांव और इसके आसपास ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बहाने अवैध खनन हो रहा है। मलबे का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। जिससे हो रहे पर्यावरणीय नुकसान से बड़ा खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने फोटोग्राफ व वीडियो भी याचिका के साथ संलग्न किए थे।
आपको यह भी बता दें कि रैणी के ग्रामीण शुरुआत से ही पॉवर प्रोजेक्ट कंपनी की मनमानी से त्रस्त थे। ग्रामीणों का कहना था कि कंपनी ने रोजगार देने के बहाने ग्रामीणों की जमीन का उपयोग पहले बिना मुआवजा दिए और नियमों को ताक पर रखकर खतरनाक गतिविधियों को अंजाम दिया। आरोप था कि कंपनी ने पर्यावरण मानकों को ताक पर रखकर नदी तट पर विस्फोटक से पत्थर तोड़े। साथ ही आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी व साथियों के जंगल में प्रवेश करने के लिए बनाए गए ऐतिहासिक मार्ग को भी बंद कर दिया था। 15 जुलाई 2019 को हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पावर प्रोजेक्ट में विस्फोटक के प्रयोग पर रोक लगाने व इस संबंध में चमोली के जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार यह याचिका फिलहाल विचाराधीन है।