लव जिहाद कानून नहीं चाहिए, परिवार के समर्थन की जरूरत

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लव जिहाद कानून नहीं चाहिए, परिवार के समर्थन की जरूरत

अहमदाबाद, 27 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय दंड संहिता में कई धाराएं महिलाओं की रक्षा करती हैं, फिर भी वे अत्याचार और अपराध की शिकार हैं। गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 (लव जिहाद) ऐसा प्रावधान है, बावजूद इसके महिलाओं के साथ ऐसे मामले अधिक हैं।

महिला कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि जब लड़कियों को उनके पति या प्रेमी द्वारा फंसाया और छोड़ दिया जाता है तो उन्हें परिवार के समर्थन की आवश्यकता होती है और यहीं पर समाज नैतिक रूप से कमजोर हो जाता है।

सामाजिक कार्यकर्ता सोनल जोशी के मुताबिक, यह कानून धर्म पर आधारित नहीं है, बल्कि जबरन धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए एक समुदाय द्वारा हिंदू समुदाय की लड़कियों को फंसाने की साजिश के तहत बनाया गया है, यहां तक कि हिंदू लड़कियों को फंसाने के लिए पैसा भी दिया जाता है।

उन्होंने नोट किया है कि ऐसे युवकों द्वारा फंसी लड़कियों और महिलाओं को अक्सर उनके द्वारा छोड़ दिया जाता है, जब ऐसी महिलाएं या लड़कियां अपने माता-पिता के पास लौटने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें वापस स्वीकार नहीं किया जाता है। 1998 में ऐसी 45 महिलाओं और लड़कियों को विश्व हिंदू परिषद द्वारा आश्रय दिया गया।

जोशी युवाओं को आकर्षित करने के लिए लड़कियों की यौन शिक्षा की भी वकालत करते हैं। यदि उचित यौन शिक्षा दी जाए तो ऐसे कानूनों के स्थान पर बहुत से मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता मीनाक्षी जोशी का मानना है, गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन), 2021 की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह महिलाओं के अपने साथी को चुनने के अधिकार के खिलाफ है, हर वयस्क महिला जानती है कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत, भले ही वह गलती करे, उसके पास अपनी पसंद का साथी चुनने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून हैं और जब इनका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा तो नए कानून की कभी जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

महिला अधिकार कार्यकर्ता रुजन खंभाटा ने कहा, जबरन धर्मांतरण पर लगाम लगाने की जरूरत है लेकिन क्या नया अधिनियम वास्तव में महिलाओं को ऐसे जाल से बचाता है?

तीनों का मानना है कि गुजरात में महिलाएं या लड़कियां लव जिहाद से डरती नहीं हैं, वे राज्य में स्वतंत्र रूप से घूमती हैं, स्कूल और कॉलेजों, सामाजिक कार्यक्रमों और यहां तक कि रात की पार्टियों में भी भाग लेती हैं।

कार्यकर्ताओं का मत है कि यदि परिवार और समाज सही समय पर लड़कियों और महिलाओं का समर्थन करे, तो यह समाज की सेवा करने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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