इंडो-फिजी के वकील को पाया गया अवमानना व अदालत की निंदा का दोषी, हो सकती है जेल

0

इंडो-फिजी के वकील को पाया गया अवमानना व अदालत की निंदा का दोषी, हो सकती है जेल

सुवा, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय मूल के प्रमुख वकील रिचर्ड नायडू को एक फैसले में वर्तनी की गलती की ओर इशारा करने के लिए अवमानना और अदालत की निंदा करने का दोषी पाया गया है।

नायडू को फरवरी 2022 में अपने फेसबुक पोस्ट के लिए जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें उन्होंने एक मामले में फैसले की एक तस्वीर पोस्ट की थी उसमें कोर्ट में सुनवाई वाले इंजेक्शन शब्द को स्वास्थ्य वाले इजेंक्शन शब्द के रूप में लिखकर गलती की है।

नायडू ने अपने पोस्ट में विचारशील चेहरा इमोजी के साथ कहा, हो सकता है कि हमारे न्यायाधीशों को इस सभी टीकाकरण अभियान से बचाने की आवश्यकता हो। मुझे पूरा यकीन है कि सभी आवेदक एक निषेधाज्ञा(इजेंक्शन) चाहते थे।

आरएनजेड ने बताया सुवा में उच्च न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल, अयाज सैयद-खय्यूम की एक शिकायत के बाद पिछले हफ्ते अपना फैसला सुनाया, जिन्होंने नायडू के पोस्ट को दुर्भावनापूर्ण बताया और न्यायपालिका का मजाक उड़ाने के लिए दूसरों को आमंत्रित किया।

सजा और शमन प्रस्तुतियां सुनने के लिए मामले को 5 जनवरी, 2023 को बुलाया जाएगा।

फिजी में अदालत की अवमानना की सजा सीमा तीन से छह महीने के कारावास के बीच है।

कानून संघों और मानवाधिकार संगठनों के अनुसार नायडू की सजा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि, यह मानता है कि आरोप एक अदालत के फैसले में वर्तनी की त्रुटि को इंगित करने के लिए एक अत्यधिक और राजनीति से प्रेरित प्रतिक्रिया है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।

अधिकार समूह ने एक बयान में कहा, सोशल मीडिया पर एक सार्वजनिक अदालत के फैसले में वर्तनी की गलती को इंगित करने के लिए आपराधिक या प्रशासनिक सजा के साथ एक वकील का पीछा करना स्पष्ट रूप से असंगत है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने के उसके अधिकार का उल्लंघन है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल पैसिफिक रिसर्चर केट शुएट्ज ने ट्वीट किया कि आरोप हास्यास्पद हैं और उन्हें बाहर कर देना चाहिए।

एक बयान में द बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने फिजी के अटॉर्नी-जनरल से दोष को रद्द करके कार्यवाही को तत्काल एक संतोषजनक समापन पर लाने का आह्वान किया।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशांत कुमार ने कहा, बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने के लिए फिजियन न्यायपालिका का आह्वान करता है। फिजी न्यायपालिका की प्रतिष्ठित उत्कृष्टता किसी भी तरह से केवल बयानों या हास्यपूर्ण टिप्पणियों से कम नहीं होती है।

लॉ काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने एक बयान में कहा कि, नायडू को प्रक्रियात्मक निष्पक्षता से वंचित किया गया था और उन्हें निष्पक्ष परीक्षण नहीं दिया गया था।

नायडू फिजी में मौजूदा सरकार के लंबे समय से आलोचक रहे हैं। दक्षिण प्रशांत देश में 14 दिसंबर को मतदान होने जा रहा है।

–आईएएनएस

पीटी/सीबीटी

Leave A Reply

Your email address will not be published.