झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी पर राजभवन और सरकार के बीच बढ़ी तकरार

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झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी पर राजभवन और सरकार के बीच बढ़ी तकरार

रांची, 30 नवंबर (आईएएनएस)। झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच का विवाद एक बार तेज हो गया है। राजभवन की ओर से राज्य सरकार को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि टीएसी की नियमावली के गठन और बैठकों की कार्यवाही पर उनका अनुमोदन न लिया जाना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन प्रतीत होता है।

राज्यपाल रमेश बैस ने सरकार से पूछा है कि उन्होंने टीएसी की नियमावली के गठन के संबंध में पूर्व में जो आदेश पारित किया था, उसका अनुपालन क्यों नहीं हुआ?

बता दें कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत झारखंड सहित देश के 10 राज्यों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन राज्यों में एक जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) का गठन किया जाता है, जो अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देती है। इस संवैधानिक निकाय का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि इसे आदिवासियों की मिनी असेंबली के रूप में जाना जाता है।

इसी जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) को लेकर झारखंड के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच विवाद की शुरूआत पिछले साल जून में तब हुई थी, जब राज्य सरकार ने इसकी नई नियमावली बनाई और 7 जून, 2021 को इसे गजट में प्रकाशित कर दिया। पूर्व से जो नियमावली चली आ रही थी, उसमें जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) के गठन में राज्यपाल की अहम भूमिका होती थी, लेकिन हेमंत सोरेन सरकार की ओर से बनाई गई नई नियमावली के तहत टीएसी के गठन में राज्यपाल की भूमिका समाप्त कर दी गयी।

राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य सरकार की ओर से बनाई गई नई नियमावली को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत और राज्यपाल के अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए इसकी फाइल राज्य सरकार को वापस दी थी। बीते 4 फरवरी 2022 को राज्यपाल ने इसपर विस्तृत आदेश पारित किया था। इसमें कहा गया था कि टीएसी की नई नियमावली में राज्यपाल से परामर्श नहीं लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण और संविधान की मूल भावना के विपरीत है। टीएसी के कम से कम दो सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार राज्यपाल के पास होना चाहिए। उन्होंने विधि विशेषज्ञों की राय का हवाला देते हुए फाइल पर टिप्पणी की थी कि पांचवीं अनुसूची के मामले में कैबिनेट की सलाह मानने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हैं। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार टीएसी के प्रत्येक फैसले को अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाना चाहिए। राज्यपाल अगर टीएसी को लेकर कोई सुझाव या सलाह देते हैं तो उसपर गंभीरता के साथ विचार किया जाना चाहिए।

इस बीच झारखंड सरकार ने बीते 23 नवंबर को नई नियमावली के अनुसार टीएसी की बैठक बुलाई, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए। अब राज भवन ने इनपर आपत्ति दर्ज कराई है। राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी की ओर से राज्य सरकार को लिखे गए पत्र में कहा है कि राज्यपाल ने टीएसी पर जो आदेश पारित किया था, उसका अनुपालन किए बगैर इसकी बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में लिए गए निर्णयों की सूचना भी राज्यपाल को उपलब्ध कराई गई है। ऐसा करना संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसकेपी

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