राष्ट्रीय दलों द्वारा कर्नाटक को इतनी तीव्रता से कभी नहीं लुभाया गया

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बेंगलुरु, 6 मई (आईएएनएस)। पूरी संभावना है कि 2023 के विधानसभा चुनाव कर्नाटक के इतिहास में सबसे कड़े राज्य चुनावों के रूप में दर्ज होंगे।

राजनीतिक दलों, विशेष रूप से भाजपा और कांग्रेस के करीबी मुकाबले, करो या मरो के प्रयासों ने देश को घटनाक्रमों को बहुत करीब से देखने के लिए मजबूर कर दिया है।

तमाम राष्ट्रीय नेता कस्बों, नगर पालिका केंद्रों और गांवों में पहुंच चुके हैं। 72 नए चेहरों को पेश करने के एक नए प्रयोग के साथ सत्ता में वापस आने के लिए ²ढ़ संकल्पित सत्तारूढ़ भाजपा ने कर्नाटक में परि²श्य को पूरी तरह से बदल दिया है।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने कई मुद्दों पर भाजपा के साथ टकराव का रुख अपनाया है। राहुल गांधी और एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी ने भ्रष्टाचार, आरक्षण सीमा, लिंगायत नेताओं के अपमान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को सीधी चुनौती दी है।

अमित शाह सूबे के कोने-कोने के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं। इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की पहुंच अभूतपूर्व है। कर्नाटक के मतदाताओं से उनकी अपील भी आज तक किसी पीएम ने नहीं की।

भाजपा के पूर्व एमएलसी अश्वथ नारायण ने आईएएनएस से बात करते हुए इस घटना को अपनी तरह का पहला मामला बताया। उन्होंने कहा, मैं 1983 से चुनाव प्रचार में हूं। यह कर्नाटक में कमल के प्रतीक के तहत भाजपा के लिए पहला चुनाव था। जब एके सुब्बैया अध्यक्ष थे।

उन्होंने कहा, पार्टी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। डॉ वी.एस. आचार्य पार्टी के नेता थे और उपनेता धनंजय कुमार थे। रामकृष्ण हेगड़े ने बीजेपी के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। तब से मैंने चुनाव और राजनीति को करीब से देखा है।

उन्होंने समझाया, भाजपा पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था, तब से हम सक्रिय राजनीति में हैं। 1983 से 2023 के बीच, 40 सालों में बहुत कुछ बदल गया है। इस बार चुनाव प्रचार का पैमाना अप्रत्याशित रहा है।

नेतृत्व की पहचान सिर्फ चुनाव के दौरान नहीं होती। एक चीज है सांगठनिक नेतृत्व और उसका चुनाव के समय किस तरह इस्तेमाल किया जाता है, यह इस मोड़ पर पता चलेगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मध्यावधि सरकार थी। उसके पास स्पष्ट जनादेश नहीं था, वह खंडित जनादेश था। इस सरकार में पूर्व सीएम बी.एस. येदियुरप्पा सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं। दिवंगत अनंत कुमार की गैरमौजूदगी में आक्रामक केंद्रीय नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है।

उन्होंने कहा, अनंत कुमार के बिना यह पहला चुनाव है और येदियुरप्पा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। पार्टी ने 3.6 साल शासन किया है और दो मुख्यमंत्री देखे हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व पूरी तरह से हमारे पीछे है। किसी भी संकट के बावजूद सफलता मिलेगी।

उन्होंने समझाया कि कांग्रेस पार्टी की पहुंच के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी में संगठन की व्यवस्था नहीं है। चुनाव के समय यह संभव नहीं है। चुनाव अटल जी और आडवाणी जी जैसे नेतृत्व पर लड़ा जाएगा, अब मोदी और अमित शाह हैं। इसी तरह येदियुरप्पा, अनंत कुमार और ईश्वरप्पा भी थे। लेकिन, कांग्रेस में सिद्धारमैया के अलावा कोई नेता नहीं है। डी.के. शिवकुमार अपनी कनकपुरा सीट के बगल में स्थित मालवल्ली निर्वाचन क्षेत्र में एक अज्ञात व्यक्ति हैं।

अश्वथ नारायण ने समझाया, मैं उनकी निंदा करने के लिए यह बयान नहीं दे रहा हूं। राहुल गांधी को लोग स्वीकार नहीं करते हैं।

आप के वरिष्ठ नेता जगदीश वी. सदम ने कहा कि यह उनकी पार्टी है जो कर्नाटक में ग्राम संपर्क अभियान के माध्यम से हर गांव तक पहुंच गई है। कांग्रेस और भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता या नेता कभी गांवों में नहीं पहुंचे। वे पैसे के बल पर वोट खरीदना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि यह कवायद चुनाव से पहले की गई थी और उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद यह दूसरी बार हुआ था।

–आईएएनएस

एसकेके/एएनएम

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