जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनी डॉ रमण की टीम, 10 हजार मरीजों का किया मुफ्त इलाज
पटना, 7 मई (आईएएनएस)। आमतौर पर आज के दौर में डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए मोटी फीस वसूलते हैं, लेकिन बिहार की राजधानी पटना में डॉक्टरों की एक ऐसी टीम भी है जो प्रत्येक रविवार किसी ने किसी गांव में न केवल मरीजों का मुफ्त इलाज करती है बल्कि उन्हें मुफ्त दवा भी उपलब्ध कराती है। पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फिजीशियन के पद पर कार्यरत डॉ रमण किशोर के नेतृत्व में यह टीम अब तक 10 हजार से अधिक मरीजों का मुफ्त इलाज कर चुकी है। इस टीम में अन्य डॉक्टर भी पटना एम्स में ही कार्यरत हैं।
दरअसल, इस टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ रमण ने इस अनोखे कार्य की शुरूआत करीब चार साल पूर्व की थी और यह कार्य अनवरत जारी है। डॉ रमण का दावा है कि शुरूआती दिनों से अब तक कोई भी रविवार ऐसा नहीं गुजरा है, जब हमलोग किसी गांव में जाकर कैम्प नहीं लगाया हो।
वे कहते हैं कि पटना के इर्द-गिर्द के करीब 30 किलोमीटर के इलाके में 89 हेल्थ कैंप लगा चुके हैं। इस दौरान 10,000 से ज्यादा मरीजों का मुफ्त में इलाज कर चुके हैं। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि एम्स में नौकरी करने के एवज में उनको जो वेतन मिलता है उसका 70 से 80 प्रतिशत का हिस्सा वह लोगों के मुफ्त इलाज पर खर्च कर देते हैं।
आईएएनएस से बातचीत के दौरान डॉ रमण बताते हैं कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के लोग आमतौर पर बीमारी के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं हैं, बीमारी बढ़ जाने के बाद ही वे बीमारी के प्रति संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहती है कि बीमारियों को शुरू में ही पहचान कर मरीजों को बता दिया जाए, ताकि वह बीमारी शुरू में ही खत्म हो जाए।
सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया को मूलमंत्र बना कर डॉ रमण का कहना है कि मैं अपने एमबीबीएस को पूरा करने के बाद इंटर्नशिप में था तो मैंने देखा कि वहां पर बहुत सारे लकवा के मरीज आ रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर इन मरीजों को पहले ही हाई ब्लड प्रेशर के विषय में जानकारी मिल जाती तो ये लकवा से बच सकते थे। उन्होंने कहा कि तभी से वे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बीमारी के विषय में जागरूक करने में जुट गए।
डॉ रमण आईएएनएस को बताते हैं कि उनकी टीम गांव में जिस भी मरीज का इलाज करती है उसके संपर्क में भी रहती है। इसके लिए उन्होंने एक ऐप भी बनाया है, जिसमें इलाज किए गए मरीजों की पूरी हिस्ट्री और कांटेक्ट नंबर सुरक्षित रखा जाता है। समय समय पर मरीजों से बातचीत की जाती है और उन्हें उचित सलाह दी जाती है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो मरीज हमारे तक पहुंचते हैं उनमें से करीब 25 से 30 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन के शिकार होते हैं जबकि 10 से 12 प्रतिशत लोग डायबिटिक हैं, लेकिन ज्यादातर को यह पता ही नहीं है कि वह बीमार है। वे कहते हैं कि इन बीमारियों का शुरूआती चरण में कोई लक्षण ही नहीं होता है, ऐसे में इन्हें मालूम नहीं चलता।
डॉक्टर रमण कहते हैं कि उनकी पढ़ाई गया मेडिकल कॉलेज से हुई है और यहां पहुंचने वाले ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्र से होते हैं। ऐसे में मैंने उसी समय तय कर लिया था कि कोई काम जरूर करूंगा जिससे ऐसे लोगों की मदद कर सकूं।
उन्होंने बताया कि प्रारंभ में मैं अकेले ही गांवों में कैंप लगाता था, लेकिन अब कई डॉक्टरों की टीम बन गई है। उन्होंने बताया कि डॉ सरिता, डॉ रंजीत कुमार, डॉ चंदन और डॉ आकांक्षा अलग-अलग क्षेत्र में स्पेशलिस्ट हैं। इस कारण लोगों को एक कैंप में ही अधिकाश रोगों का इलाज पहुंच पाता है।
वे बताते हैं कि सोमवार से लेकर शनिवार तक सभी ऑन ड्यूटी रहते हैं, रविवार छुट्टी के दिन ग्रामीण इलाकों में मेडिकल कैंप लगाया जाता है। भविष्य की योजना के विषय में पूछे जाने पर वे कहते हैं कि फिलहाल पटना के 30 किलोमीटर दायरे में यह निशुल्क कैंप लगाया जा रहा है, लेकिन अब इसका दायरा बढाने की योजना है। उन्होंने बताया कि पटना में 100 कैंप लगाने के बाद दूसरे सुदूरवर्ती क्षेत्रों का चयन कर कैंप लगाया जाएगा।
बहरहाल, डॉ रमण ऐसे लोगों के लिए एक आदर्श स्थापित कर रहे हैं, जो अभी एमबीबीएस की पढाई कर रहे हैं। उनकी टीम में शामिल डॉ सरिता कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगाने के बाद और मरीजों के घरों तक इलाज पहुंच जाने के बाद एक सुकून का एहसास होता है।
–आईएएनएस
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