दिल्ली हाईकोर्ट ने स्कूलों में कानूनी पढ़ाई को शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका की खारिज
नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। हर स्कूल में वैकल्पिक विषय के रूप में कानूनी अध्ययन की मांग करने वाली एक याचिका को खारिज करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पाठ्यक्रम में किसी भी विषय को शामिल करना कार्यपालिका के दायरे में आता है और अदालतें इस तरह के मुद्दों पर फैसला करने के लिए एक मंच नहीं हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि अगर ऐसी याचिकाएं मंजूर की जाती हैं, तो कल कोई व्यक्ति पाठ्यक्रम में खगोल भौतिकी के लिए याचिका दायर करेगा।
पीठ ने कहा, इस विशेष धारा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की मांग करने का अधिकार कहां है? कल कोई बच्चा हमारे पास आएगा और कहेगा कि मेरे पास एक विषय के रूप में खगोल भौतिकी थी।
वीरेंद्र कुमार शर्मा पुंज और शुभम पुष्प शर्मा द्वारा अधिवक्ता मेघवर्णा शर्मा के माध्यम से जनहित याचिका को 2013 के एक लेख का हवाला देकर समर्थित किया गया था, जहां केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा यह कहा गया कि 200 स्कूलों में पायलट आधार पर ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए एक विषय के रूप में कानूनी अध्ययन की पेशकश की जाएगी।
वकील ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में आज तक कुछ खास नहीं किया है।
वकील ने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे विषयों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है और याचिकाकर्ता जिन छात्रों से मिला है, वे भी कानून का अध्ययन करना चाहते हैं।
जो लोग संविधान से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने बताया कि सरकार के पास अपने संविधान को जानने जैसी पहलें हैं।
इसके बाद कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।
–आईएएनएस
एसकेके