मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन व शीर्ष पुलिस अधिकारी पी.विजयन के बीच टकराव की आशंका
तिरुवनंतपुरम, 20 मई (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर विजयन और आईजी पी.विजयन के बीच टकराव की आशंका प्रबल हो गई है, जिनका गुरुवार रात निलंबन हुआ। पी.विजयन ने मजदूरी से आगे बढ़कर सिविल सेवा परीक्षा पास की और अपनी कड़ी मेहनत से एक लोकप्रिय पुलिस अधिकारी बने। उनके प्रयासों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रशंसा की।
वरिष्ठ अधिकारी को मोदी के मन की बात कार्यक्रम की 100वीं कड़ी में भाग लेने वाले 100 लोगों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें भाग लेने की अनुमति नहीं दी, इसलिए वह नहीं जा सके।
पी.विजयन ने तब दबाव महसूस किया, जब 26 अप्रैल को उन्हें पहली बार आतंकवाद विरोधी दस्ते के प्रमुख और केरल बुक्स एंड पब्लिकेशन सोसाइटी के प्रमुख के पद से हटा दिया गया।
उस समय किसी को पता नहीं था कि क्या हुआ है, लेकिन जब उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया गया, तो चीजें पष्ट हो गईं। उनके खिलाफ आरोप यह था कि कोझिकोड ट्रेन अग्निकांड के आरोपी दिल्ली निवासी शाहरुख सैफी मामले की जानकारी कथित तौर पर मीडिया को लीक की थी। मामला पिछले महीने महाराष्ट्र से केरल लाया गया था।
विपक्ष के नेता वी.डी.सतीशन ने कहा कि पुलिस मुख्यालय में गुटबाजी के कारण निलंबन हुआ है।
इसके पहले पिनाराई विजयन के करीबी तत्कालीन वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी जैकब थॉमस को, उनके खिलाफ मामले सामने आने पर निलंबित कर दिया गया था और जब उन्हें बहाल किया जाना था, तो कम महत्वपूर्ण विभाग में भेज दिया गया और वहां से सेवानिवृत्त कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में पी.विजयन पर कुछ मामले आ सकते हैं और अगर ऐसा होता है, तो उन्हें सेवा में वापस आने में कुछ समय लग सकता है।
इस बीच, कयासों का दौर भी शुरू हो गया है कि मोदी ने 100 लोगों में से एक के रूप में पी.विजयन को चुना है, क्योंकि बीजेपी उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में कोझिकोड से मैदान में उतारने में दिलचस्पी रखती है।
संयोग से थॉमस को 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए इरंजालकुडा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया था और लगभग 33 हजार वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे।
–आईएएनएस
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